|| हर हर महादेव ||
बाबा वैद्यनाथ धाम की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा था। वह एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था। 9 सिर चढ़ाने के बाद जब रावण 10वां सिर काटने वाला था तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और उससे वर मांगने को कहा।
तब रावण ने 'कामना लिंग' को ही लंका ले जाने का वरदान मांग लिया। रावण ने ये इच्छा जताई कि भगवान शिव कैलाश को छोड़ लंका में रहें। महादेव ने उसकी इस मनोकामना को पूरा तो किया पर साथ ही एक शर्त भी रखी। उन्होंने कहा कि अगर तुमने शिवलिंग को रास्ते में कही भी रखा तो मैं फिर वहीं रह जाऊंगा और नहीं उठूंगा। रावण ने शर्त मान ली।
इधर भगवान शिव की कैलाश छोड़ने की बात सुनते ही सभी देवता चिंतित हो गए। तब भगवान विष्णु ने वरुण देव को आचमन के जरिए रावण के पेट में घुसने को कहा। इसलिए जब रावण आचमन करके शिवलिंग को लेकर श्रीलंका की ओर चला तो देवघर के पास उसे लघुशंका लगी।
ऐसे में रावण एक ग्वाले को शिवलिंग देकर लघुशंका करने चला गया। कहते हैं उस बैजू नाम के ग्वाले के रूप में भगवान विष्णु थे। इस वहज से भी यह तीर्थ स्थान बैजनाथ धाम और रावणेश्वर धाम दोनों नामों से विख्यात है। रावण कई घंटो तक लघुशंका करता रहा जो आज भी एक तालाब के रूप में देवघर में है। इधर बैजू ने शिवलिंग धरती पर रखकर स्थापित कर दिया।
जब रावण लौट कर आया तो लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया। तब उसे भी भगवान की यह लीला समझ में आ गई और वह क्रोधित शिवलिंग पर अपना अंगूठा गढ़ाकर चला गया। उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। तभी से महादेव 'कामना लिंग' के रूप में देवघर में विराजते हैं।
Renowned Astrologer and Vastu Acharya Ashok Narayann is a world acclaimed godly person. This blog will provide deep insights and roots of Spirituality and how we can apply them. Narayannji has an exemplarily, quintessential acumen in predicting and providing remedies through Astrology, Vastu and other Spiritual Sciences. He organizes/ performs various religious/ spiritual Havans/ Pooja’s of Das Mahavidyas for the betterment of Individuals and Society.
Tuesday, 4 August 2020
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