Sunday, 3 January 2021

ज्योतिष और मानसिक रोग --आचार्य अशोक नारायण

 ज्योतिष और मानसिक रोग - कारण


    मानसिक बीमारी होने के बहुत से कारण होते हैं। इन कारणों का ज्योतिषीय आधार क्या है, इसकी जानकारी के लिये कुंडली के उन योगों का अध्ययन करेंगे जिनके आधार पर मानसिक बिमारियों का पता चलता है। 

    मानसिक बीमारी में चंद्रमा, बुध, चतुर्थ भाव व पंचम भाव का आंकलन किया जाता है। चंद्रमा मन है, बुध से बुद्धि देखी जाती है और चतुर्थ भाव भी मन है तथा पंचम भाव से बुद्धि देखी जाती है। जब व्यक्ति भावुकता में बहकर मानसिक संतुलन खोता है तब उसमें पंचम भाव व चंद्रमा की भूमिका अहम मानी जाती है। 


सिज़नोफ्रेनिया (Syznophrenia) बीमारी में चतुर्थ भाव की भूमिका मुख्य मानी जाती है। शनि व चंद्रमा की युति भी मानसिक शांति के लिए शुभ नहीं मानी जाती है। मानसिक परेशानी में चंद्रमा पीड़ित होना चाहिए।


1) जन्म कुंडली में चंद्रमा अगर राहु के साथ है तब व्यक्ति को मानसिक बीमारी होने की संभावना बनती है क्योकि राहु मन को भ्रमित रखता है और चंद्रमा मन है। मन के घोड़े बहुत ज्यादा दौड़ते हैं। व्यक्ति बहुत ज्यादा हवाई किले बनाता है।

2) यदि जन्म कुंडली में बुध, केतु और चतुर्थ भाव का संबंध बन रहा है और यह तीनों अत्यधिक पीड़ित हैं तब व्यक्ति में अत्यधिक जिदपन हो सकती है और वह सिज़नोफ्रेनिया का शिकार हो सकता है। इसके लिए बुध व चतुर्थ भाव पर अधिक जोर दिया गया है।

3) जन्म कुंडली में गुरु लग्न में स्थित हो और मंगल सप्तम भाव में स्थित हो या मंगल लग्न में और सप्तम में गुरु स्थित हो तब मानसिक आघात लगने की संभावना बनती है।

4) जन्म कुंडली में शनि लग्न में और मंगल पंचम भाव या सप्तम भाव या नवम भाव में स्थित हो तब मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

5) कृष्ण पक्ष का बलहीन चंद्रमा हो और वह शनि के साथ 12वें भाव में स्थित हो तब मानसिक रोग की संभावना बनती है. शनि व चंद्र की युति में व्यक्ति मानसिक तनाव ज्यादा रखता है।

6) जन्म कुंडली में शनि लग्न में स्थित हो, सूर्य 12वें भाव में हो, मंगल व चंद्रमा त्रिकोण भाव में स्थित हो तब मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

7) जन्म कुंडली में मांदी सप्तम भाव में स्थित हो और अशुभ ग्रह से पीड़ित हो रही हो। 

8) राहु व चंद्रमा लग्न में स्थित हो और अशुभ ग्रह त्रिकोण में स्थित हों तब भी मानसिक रोग की संभावना बनती है।

9) मंगल चतुर्थ भाव में शनि से दृष्ट हो या शनि चतुर्थ भाव में राहु/केतु अक्ष पर स्थित हो तब भी मानसिक रोग होने की संभावना बनती है।

10) जन्म कुंडली में शनि व मंगल की युति छठे भाव या आठवें भाव में हो रही हो।

11) जन्म कुंडली में बुध पाप ग्रह के साथ तीसरे भाव में हो या छठे भाव में हो या आठवें भाव में हो या बारहवें भाव में स्थित हो तब भी मानसिक रोग होने की संभावना बनती है

12) यदि चंद्रमा की युति केतु व शनि के साथ हो रही हो तब यह अत्यधिक अशुभ माना गया है और अगर यह अंशात्मक रुप से नजदीक हैं तब मानसिक रोग होने की संभावना अधिक बनती है। 

13) जन्म कुंडली में शनि और मंगल दोनो ही चंद्रमा या बुध से केन्द्र में स्थित हों तब मानसिक रोग होने की संभावना बनती है। 


  जय मां बगलामुखी 

आचार्य अशोक नारायण 

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